पामगढ़। संत शिरोमणि गुरुघासीदास महाविद्यालय पामगढ़ में चुनाव प्रक्रिया से संबंधित जानकारी से अवगत कराते हुए एनएसएस कार्यक्रम अधिकारियों के द्वारा मतदाता जागरूकता अभियान चलाया गया। मतदान एक महत्वपूर्ण नागरिक कर्तव्य है जो हमारे देश के भविष्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। मतदान राजनेताओं को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह बनाए रखने में मदद करता है और हमारे लोकतंत्र के लिए रूपरेखा तैयार करता है।
कार्यक्रम के दौरान उद्बोधन में महाविद्यालय प्राचार्य के. जे. राय सर ने यह बताया गया कि चुनाव में प्रत्येक बालिग अपनी इच्छानुसार अपने मत (वोट) का प्रयोग करके इच्छित व्यक्ति को जिता और अनिच्छित को पराजित करके सत्ता से हटा सकता है। पहले मतदाता की पात्रता आयु 21 वर्ष थी, लेकिन 1988 में इसे 18 वर्ष तक घटा दिया गया गया था। इस बदलाव को शामिल किया गया क्योंकि दुनिया भर में कई देशों ने आधिकारिक मतदान उम्र के रूप में 18 वर्ष की सीमा को अपनाया था। उसी समय भारतीय युवा साक्षर और राजनैतिक रूप से जागरूक हो रहा था। 61वें विधेयक संशोधन, 1998 ने भारत में मतदाता की पात्रता उम्र कम कर दिया।
बहुत से लोग मतदान करना चाहते हैं, लेकिन बहुत से लोगों को इसकी आवश्यकता और इसे डालने के तरीके के बारे में जानकारी नहीं होती है। यहीं पर मतदान जागरूकता काम आती है। मतदान जागरूकता का विचार लोगों को मतदान के महत्व को समझने में मदद करना है। मतदाताओं के लिए अपनी सरकार को नियंत्रित करने के लिए मतदान एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह नागरिकों के लिए मतदान के बारे में जागरूकता बढ़ाकर यह व्यक्त करने का एक तरीका है कि वे अपने नेताओं से क्या चाहते हैं। इससे बेहतर शासन मिलेगा और हर कोई चाहता है – एक ऐसा लोकतंत्र जो स्वतंत्र, निष्पक्ष और प्रतिनिधित्वपूर्ण हो। उद्बोधन के दौरान के.जे. राय सर ने महाविद्यालय के बच्चों को मतदाता जागरूकता के प्रति स्वयं जागरूक होने एवं आस-पास के लोगों को जागरूक करने हेतु शपथ दिलाया।
कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय प्राचार्य के.जे. राय के साथ सुरेन्द्र भार्गव, महेन्द्र बघेल, सुनील कौशिक, सी.एल. सूर्यवंशी, पुष्पेंद्र कुमार, दोपेंद्र कौशिक, सचिन पटेल, जय कुमार, फनीराम जांगड़े, ज्ञानदास मानिकपुरी, सूरज पठारे एवं सुकेशी कश्यप , जाहन्वी खरे, सपना भारती, प्रगति पाटले, अनीशा पटेल, कविता, श्वेता कुर्रे उपस्थित रहे।