नगर का छोरा, पीटे ढिंढोरा में आज पढ़िये ….चुनावी रेस में बादशाह से लेकर दुग्गी-तिग्गी भी टिकट दावेदारी में किसी से कम नहीं…..
शनि सूर्यवंशी
News Dastak@पामगढ़ —
अब हवाएं ही करेंगी, रौशनी का फैसला।
जिस दिए में जान होगी, वह दिया रह जाएगा।।
यह लाईन पामगढ़ विधानसभा क्षेत्र की आज की वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर एकदम सटीक बैठ रहा है। कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों ही दलों में टिकट की मच-मच मची हुई है। कोई किसी से कम नहीं है। टिकट की चल रही इस फुगड़ी प्रतियोगिता में हर कोई लगभग कुद ही पड़ा है। स्थानीय चैनलों व सोशल मीडिया में तो दोनों ही दलों से संभावितों की नई-नई सूची रोज निकल रही है। जिस वजह से पार्टीयों के छोटे कार्यकर्ता और आमजन के दिमाग का रोज दही-कांदा हो रहा है। वही नेता भी रोज-रोज के नए-नए मिल रहे टेंशन से हाईकमान तक की दौड़ लगाकर उन्हें भी हलाकान कर रहे हैं। तो कईयो ने रायपुर को ही अपना घर बना लिया है, जुबानी जंग तो खुलकर चल रही है, और अब ऐसा लग रहा है कि जिसमें जान बचेगा वही जिंदा रहेगा, और जिसका मांझा तेज होगा उसी की पतंग भी राजनीति के आसमान पर टिकी दिखेगी।
टिकट घोषणा की उल्टी गिनती जहां चालू हो गई है वहीं नेताओं की सीधी दौड़ राजधानी रायपुर और दिल्ली तक चल रही है, पामगढ़ में भाजपा की ओर से संभावित प्रत्याशी का सिंगल नाम सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद क्षेत्र में चर्चा का बाजार गर्म है कि पार्टी ने अभी अपना अधिकृत सूची जारी नहीं की है यह भी देखने को मिल रहा है कि सोशल मीडिया में रोजाना अलग-अलग नाम भी संभावित सूची में सामने आ रहे हैं। पामगढ़ विधानसभा में कांग्रेस से एक दर्जन से भी अधिक टिकट के दावेदार हैं, हर नेता 99.9% का दावा कर रहा है, कि टिकट हमारा ही फायनल है। अब देखना यह है की दलीय नेताओं के टिकट रूपी सांप सीढ़ी के इस खेल में, कौन 99 का सांप पार करके चुनावी जंग की पहली जीत को अपने खाते में डालने में सफल होगा, इन नेताओं में आत्मविश्वास भी गजब का दिख रहा है, जबकि विधानसभा क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी के अलावा अभी तक किसी भी पार्टी ने अपने अधिकृत प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है।
टिकट कंफर्म नहीं लेकिन अभी से खुल गए कार्यालय
कांग्रेस, बीजेपी जैसे प्रमुख राजनैतिक पार्टियों ने भी अभी तक अपने पत्ते इस विधानसभा के लिए नहीं खोले हैं, मगर कई राजनैतिक पार्टियों के उम्मीदवार अभी से अपना चुनाव कार्यालय जरुर खोलकर बैठ गए हैं जैसे कि उनका टिकट ही पार्टी ने कन्फर्म कर दिया है और वे ही चुनाव लड़ेगे, जबकि मजेदार बात यह है कि पार्टियों से उन्हें टिकट मिलेगा या नही यह भी कन्फर्म नहीं है, मगर क्षेत्र में बकायदा कार्यालय खोलकर चुनावी ताल ठोंकना शुरु कर दिया है। पांच साल तक फील्ड में नजर नहीं आने वाले लोग भी इसमें पीछे नहीं है। क्षेत्र से विधायक बनने के लिए हर पार्टी से दावेदारों की फौज खड़ी है। ऐसे में स्थिति यह है कि एक ही दल के कई कार्यालय खुल गए हैं। जितने दावेदार, उतने कार्यालय जैसा नजारा इन दिनों देखने को मिल रहा है। बहरहाल अधिकृत प्रत्याशियों की घोषणा के बाद तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि कौन चुनाव मैदान में रहेगा, मगर नाम फाइनल हुए बगैर ही इस तरह से चुनाव कार्यालय खुलने से क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार भी गर्म हो गया है। दावेदारों की खान-पान और नींदे सब उड़ी हुई है। और शायद यह लाइनें अपने लोगों से कहते भी होंगे…
हमें भी नींद आ जाएगी, हम भी सो ही जाएंगे।
अभी कुछ बेकरारी है सितारों, तुम तो सो जाओ।।
तब तक के लिए नमस्कार..!
नगर का यह छोरा और भी पिटता रहेगा ढिंढोरा…….