Team@News Dastak पामगढ़ | बुधवार को ईद के चांद का दीदार हो गया, आज गुरुवार को ईद का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
इस रमजान में चंडीपारा-पामगढ़ निवासी सैय्यद अब्बास अली के पुत्र सैय्यद साईब अली ने रमज़ान महीने की पुरी 30 रोज़ा बड़ी ही शिद्दत और एहतराम के साथ मुक्कमल किया। आप को बता दे की इस्लाम धर्म की बुनियाद पांच स्तंभों में टिकी हुई पहला – शहादत, दुसरा –नमाज़, तीसरा –जकात, चौथा – हज और पांचवां – रमज़ान के रोजे जो हर मुस्लिम औरत मर्द पर फर्ज़ होता है, चाहें वह किसी भी उम्र का हो बच्चें बूढ़े जवान सभी पर नियम और कानून बराबर होता है। शेहरी और इफ्तार के बीच पूरे 14 घंटो का फासला होता है, और इसे मुक्कमल करना ही नही बल्कि भूख प्यास और नफ्स पर काबू पाना भी रोजे में शमिल है, इसका वैज्ञानिक कारण यह भी है की एक माह के रोजे रखने बाद शरीर पूरी तरह से बीमारियों से मुक्त हो जाता है, भूख कैंसर जैसे लाइलाज बीमारी को खत्म करता है, हर मुसलमान एक माह के रोजा के बाद चांद के हिसाब से ईद मानते है ईद का त्यौहार भाईचारा और शौहाद्र की निशानी है, जिसमें लोग अपना आपसी गीले शिकवे को भूल कर एक दूसरे से गले मिलते हैं और खुशी मनाते हैं एक दूसरे के घरों में जाकर शेवाईयां खाते है।