Team@News Dastak-सतनामी समाज के गुरु बालदास ने 2018 में भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थामा था, तब के पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल और प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने कांग्रेस प्रवेश कराया था,और सतनामी बहुल सीटों पर 2018 में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाकर कांग्रेस की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी,उनके पुत्र गुरु खुशवंत के छत्तीसगढ़ से एकमात्र अजा सुरक्षित लोकसभा सीट जांजगीर से चुनाव लड़ने की चर्चा थी, लेकिन ऐन वक्त पर पूर्व सांसद परसराम भारद्वाज के बेटे रविशेखर भारद्वाज को जांजगीर लोकसभा सीट से टिकट दे दिया गया। रविशेखर भारद्वाज तो चुनाव हार गए लेकिन तभी से बालदास और खुशवंत कांग्रेस से कुछ दूर होते चले गए। गुरु परिवार के सूत्रों के हवाले से खबर है कि एक-दो दिनों में अपने पुत्र गुरु खुशवंत समेत बालदास भाजपा प्रवेश कर सकते हैं।
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अब सतनामी वोटर्स के कुल प्रभाव को समझते हैं।
प्रदेश में 10 सीटें एससी के लिए रिजर्व हैं। 2013 में यहां बीजेपी ने 10 में 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2018 में बीजेपी इन 10 सीटों में से सिर्फ 2 पर ही जीत हासिल कर पाई, जबकि 7 पर कांग्रेस जीतने में सफल रही। अजित जोगी फैक्टर इन सीटों पर पूरी तरह फेल साबित हुआ। इसके अलावा सतनामी वोटर्स के प्रभाव वाली जनरल कैटेगरी की 19 सीटों पर भी कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया। सतनामी समाज के बालदास और खुशवंत का कांग्रेस के पाले में जाना रमन सिंह को भारी पड़ गया था , क्योंकि इन्होंने ही 2013 विधानसभा चुनाव में रमन सिंह की जीत की इबारत में मुख्य भूमिका निभाई थी।
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गुरु बालदास के भाजपा प्रवेश से क्या असर हो सकता है।
बालदास के भाजपा प्रवेश से प्रदेश के तीन मंत्रियों की सीटों समेत डेढ़ दर्जन सीटों पर सीधा असर होगा, जिसमें आरंग से शिव डहरिया, साजा से रविंद्र चौबे और कवर्धा से मोहम्मद अकबर के अलावा प्रदेश भर की 10 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटें तथा लोरमी,तखतपुर,कसडोल,समेत लगभग डेढ़ दर्जन सीटों पर सतनामी वोटों में बड़ा उलटफेर कर सकते हैं।
2013 में सतनाम सेना ने चुनाव लड़कर कांग्रेस को किया था सत्ता से दूर
2013 में बालदास ने अपने संगठन सतनाम सेना को चुनाव मैदान में उतारा था, प्रदेश भर के लगभग दो दर्जन सीटों पर सतनाम सेना ने चुनाव लड़ा था तब प्रदेश की 10 आरक्षित सीटों में से केवल एक सीट मस्तूरी से दिलीप लहरिया ही जीत पाए थे जबकि बाकी 9 सीट और लोरमी से धर्मजीत सिंह,साजा से रविंद्र चौबे और कवर्धा से मोहम्मद अकबर चुनाव हार गए थे, तब तीसरी बार प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी थी, हालांकि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 10 सीटों में से कुछ सीटों जैसे बिलाईगढ़, पामगढ़ और मस्तूरी में सतनाम सेना का असर ना के बराबर है लेकिन सामान्य सीटों पर भी सतनामी समाज के बीच सतनाम सेना और गुरु बालदास का सीधा प्रभाव है।