स्वर साधना से एकाग्रता को प्राप्त किया जा सकता है, शास्त्रीय संगीत क्षमता विकास में सहायक है- प्रो. सेठ
Team@News Dastak पामगढ़– एकता, सौहार्द एवं पर्यावरण संरक्षण का संदेश लेकर साइकिल से भारत भ्रमण के लिए निकले भारतीय शास्त्रीय संगीत और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए स्थापित सोसाइटी स्पीक मैके के संस्थापक, आईआईटी नई दिल्ली के प्रोफेसर पद्मश्री पुरस्कार विजेता डॉ किरण सेठ 8000 किलोमीटर की यात्रा तय कर सोमवार को पामगढ़ स्थित चैतन्य विज्ञान एवं कला महाविद्यालय परिसर पहुंचे। डॉ सेठ के सोमवार सुबह बिलासपुर से अपनी साइकिल यात्रा को आगे बढ़ाते हुए 11: 30 पामगढ़ के अकलतरा मोड़ पहुंचने पर संस्था के संचालक वीरेंद्र तिवारी एवं वरिष्ठ प्राध्यापकों द्वारा डॉ सेठ का स्वागत किया गया। वहां से साइकिल सवार महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के साथ रैली के रूप में डॉ सेठ महाविद्यालय परिसर पहुचें। जहां महविद्यालयीन छात्र छात्राओं द्वारा मानव श्रृंखला बना कर पुष्पवर्षा करते हुए करतल ध्वनि से स्वागत किया गया। विश्राम के पश्चात डॉ सेठ मंचीय कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम का प्रारंभ माता सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवन व वन्दना से किया गया। तत्पश्चात संस्था के संचालक ने डॉ को पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। वरिष्ठ प्राध्यापक विवेक जोगलेकर ने स्वागत उद्बोधन देते हुए प्रोफेसर किरण सेठ के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए स्पीक मैके गतिविधियों के विषय में सभा को अवगत कराया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ सेठ ने कहा कि उनके साइकिल से भारत यात्रा का ध्येय स्पीक मैके के उद्देश्यों से युवाओं को अवगत कराने के साथ-साथ सरलता एवं सादगी से सेहतमंद जीवन व पर्यावरण संरक्षण के संदेश को जन-जन तक प्रसारित करना है। उन्होंने कहा कि लोग महात्मा गांधी के विचारों से दूर जा रहे हैं। गांधी जी द्वारा दिए गए सादा जीवन उच्च विचार की धारणा को आत्मसात करके ही मानव जीवन को सार्थक बनाया जा सकता।उन्होंने देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर का उल्लेख करते बताया कि वहां के नागरिकों व स्वयं के द्वारा किए जाने वाले स्वच्छता संबंधी अभ्यासों को प्रत्येक नागरिकों को अपनाए जाने की अवश्यकता बताई। उन्होंने मन को एकाग्र करने में शास्त्रीय संगीत की भूमिका के विषय में अपने अनुभव साझा करते हुए विस्तार से बताया। डॉ सेठ ने स्पीक मैके की भारत सहित विश्व के कोने-कोने में होने वाली गतिविधियों का पावर प्वाइंट प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रदर्शन किया। उन्होंने युवाओं से संस्कृति बचाने के संस्थान पर संस्कृति अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि मिश्र, बेबीलोन, सीरियन जैसी विश्व की बड़ी-बड़ी सभ्यताओं के अवशेष आज केवल संग्रहालयों में ही देखे जा सकते हैं। युवाओं को अपनी संस्कृति को आत्मसात करते हुए इसे संवर्धित करने की दिशा में कार्य करना चाहिए। उन्होंने क्षेत्र में स्पीक मैके की गतिधिवियों को गति देने के लिए चैतन्य विज्ञान एवं कला महाविद्यालय से सहयोग की अपेक्षा करते हुए महाविद्यालय के नाम से स्पीक मैके का एक परिचर्चा समूह बनाने की बात कही। इस समूह के माध्यम से सदस्यों को देश विदेश में जारी सांस्कृतिक गतिविधियों से अवगत कराया जाएगा। डॉ सेठ ने अपने संबोधन के दौरान श्रोताओं से प्रश्न किए साथ उनके प्रश्नों के रोचक उत्तर देकर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। कार्यक्रम के अंत में संस्था के संचालक महोदय द्वारा स्मृति चिन्ह के रूप में साइकिल की प्रतिकृति व शॉल एवं श्री फल प्रदान कर डॉ सेठ का सम्मान किया गया। प्रो सेठ को महाविद्यालय परिवार की ओर से परिसर में ही निर्मित जैविक खाद के प्रतिदर्श भेंट स्वरूप प्रदान किया गया।
मंचीय कार्यक्रम के पश्चात डॉ ने महविद्यालय परिसर भ्रमण करते हुए परिसर में स्थापित विशाल शतरंज डायस एवं मल्लखंभ कबड्डी योग आदि खेल गतिविधियों में लगे खिलाड़ियों का खेल देखा एवं उनके साथ वार्तालाप की। रात्रि विश्राम के अगले से दिन मंगलवार प्रातः महाविद्यालयीन स्टाफ के साथ योग अभ्यास सत्र में भाग लेने पश्चात डॉ सेठ अपनी साइकिल यात्रा को आगे बढ़ाते हुए गंतव्य की ओर रवाना हो जाएंगे।
मंचीय कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविधालय की सहायक प्राध्यापक डॉ गरिमा तिवारी ने किया। मंच संचालन संस्था के सहायक प्राध्यापक द्वय ऋषभ देव पांडेय एवं नयन मोनी सरकार द्वारा किया गया। कार्यक्रम में कंप्यूटर विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक द्वय धनेश्वर सूर्यवंशी एवं विजय तिवारी और तकनीकी सहायक सरोजमणी बंजारे ने किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ नागरिक सुरेंद्र तिवारी, महविद्यालयीन छात्र छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
गौरतलब है कि स्पिक मैके एक गैर-राजनीतिक, राष्ट्रव्यापी, स्वैच्छिक आंदोलन है जिसकी स्थापना 1977 में आईआईटी-दिल्ली में तत्कालीन प्रोफेसर डॉ. किरण सेठ ने की थी। जिन्हें 2009 में कला में उनके योगदान के लिए ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया। स्पीक मैके का उद्देश्य युवाओं के बीच में भारतीय विरासत के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूकता बढ़ाकर, भारतीय ज्ञान परंपरा में अंतर्निहित मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करते हुए औपचारिक शिक्षा की गुणवत्ता को समृद्ध करना है। स्पीक मैके भारतीय और विश्व विरासत की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक सम्पदा में सन्निहित रहस्यवाद का अनुभव करके युवाओं को प्रेरित करना चाहता है। इसके लिए स्पीक मैके देश के सबसे निपुण कलाकार की सहभागिता से स्कूलों और कॉलेजों में भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य, लोक, कविता, रंगमंच, पारंपरिक पेंटिंग, शिल्प और योग के कार्यक्रम प्रस्तुत करता हैं। 2011 में, स्पिक मैके को युवा विकास में योगदान के लिए राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार से सम्मानित किया गया चुका है। स्पीक मैके प्रतिवर्ष लगभग 1000 शहरों के 1500 से अधिक संस्थानों में 5000 से अधिक कार्यक्रमों की व्यवस्था करते हैं। जिनमें 30 लाख से अधिक छात्र शामिल होते हैं। ये सभी कार्यक्रम हजारों स्वयंसेवकों द्वारा आयोजित किए जाते हैं – जिनमें मुख्य रूप से छात्र, शिक्षक, गृहिणियां, सेवानिवृत् सेवी, पेशेवर, युवा और वरिष्ठ शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि डॉ किरण सेठ बीते वर्षों में महाविद्यालय में आयोजित स्पीक मैके के विभिन्न कार्यक्रम में शिरकत कर चुके हैं।